आधारभूत परिभाषाएं
प्रस्ताव - जब एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति से किसी कार्य को करने अथवा न करने के विषय में अपनी इच्छा दूसरे व्यक्ति के समक्ष उसकी सहमति प्राप्त करने के उद्देश्य से रखता है तो उसे प्रस्ताव कहा जाता है
वचन - जब कोई प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है तो वह वचन का रूप धारण कर लेता है
वचन दाता और वचन ग्रहीता - प्रस्ताव रखने वाला व्यक्ति प्रस्तावक यह वचन दाता कहलाता है और प्रस्ताव स्वीकार करने वाला व्यक्ति वचन ग्रहीता कहलाता है
ठहराव - प्रत्येक वचन और वचनों का प्रत्येक समूह जो एक दूसरे के लिए प्रतिफल हो ठहराव कहलाता है
व्यर्थ ठहराव - एक ठहराव जो कानूनन प्रवर्तनीय ना हो व्यर्थ ठहराव कहलाता है
Q. अनुबंध की परिभाषाएं दीजिए एक वैध अनुबंध के आवश्यक लक्षण बताइए
Ans. अनुबंध अधिनियम 1872 व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रखता है वर्तमान समय में व्यापार को सुचारु रुप से चलाने के लिए जाने अनजाने बहुत सारे अनुबंध किए जाते हैं अनुबंध अधिनियम के अंतर्गत व्यक्तियों के अधिकारों एवं दायित्वों का निर्धारण नहीं किया जाता है बल्कि अनुबंध के पक्षकार स्वयं अपने वचन के माध्यम से अपने अधिकारों एवं दायित्व का सृजन करते हैं तथा उसके बाद भी होते हैं
परिभाषा - अनुबंध अधिनियम 1872 की धारा 28 के अनुसार एक ठहराव जो राज नियम द्वारा प्रवर्तनीय होता है अनुबंध कहलाता है
सर विलियम्स के अनुसार - अनुबंध एक ठहराव है जो दो या दो से अधिक पक्षकारों के बीच किया जाता है और राज नियम द्वारा प्रवर्तनीय होता है तथा जिसके द्वारा एक पक्षकार को दूसरे पक्षकार के संबंध में कुछ अधिकार प्राप्त हो जाते हैं
भारतीय अनुबंध अधिनियम 1 सितंबर 1872 से लागू किया गया है यह अधिनियम संपूर्ण भारतवर्ष में लागू होता है जम्मू एवं कश्मीर को छोड़कर
अनुबंध के लक्षण - अनुबंध की वैद्यता के लिए धारा 10 के अनुसार सभी ठहराव अनुबंध है यदि वे उन पक्षकारों की स्वतंत्र सहमति कैसे किए जाते हैं जिनमें अनुबंध करने की क्षमता है जो विधि पूर्ण प्रतिफल तथा विधि पूर्ण उद्देश्य किए जाते हैं और जो इस अधिनियम के द्वारा व्यर्थ घोषित नहीं किए गए हैं यदि भारत में प्रचलित किसी विशेष राज नियम द्वारा व ठहराव लिखित प्रमाणित और रजिस्टर्ड होना भी आवश्यक है
ठहराव प्रस्ताव और स्वीकृति - एक वैध अनुबंध के लिए ठहराव का होना आवश्यक है ठहराव से तात्पर्य है कि एक पक्ष कार द्वारा प्रस्ताव किया जाए और दूसरे पक्ष कार द्वारा उसे स्वीकार किया जाए एक वैध ठहराव के लिए प्रस्ताव और स्वीकृति का होना अत्यंत आवश्यक है अतः प्रस्ताव स्वीकार होने पर ठहराव में परिवर्तित होता है
पक्षकारों में अनुबंध करने की क्षमता का होना - अधिनियम की धारा 11 के अनुसार एक वैध अनुबंध के लिए यह आवश्यक है कि पक्षकारों के द्वारा जो अनुबंध किए जा रहे हैं वह उसके लिए योग्य हो प्रत्येक व्यक्ति अनुबंध करने के योग्य है जोकि राज नियम के अधीन व्यस्त हैं स्वस्थ मस्तिष्क का है तथा राज नियम के अनुसार उसे अनुबंध करने के अयोग्य घोषित ना किया गया है
पक्षकारों में स्वतंत्र सहमति का होना - अनुबंध की वैधता के लिए यह भी आवश्यक है कि पक्षकारों में स्वतंत्र सहमति हो दो या दो से अधिक व्यक्तियों में सहमति उस समय मानी जाती है जब वह एक ही बात पर एक ही भाव से सहमत हो सहमति का स्वतंत्र होना भी अत्यंत आवश्यक है यदि सहमति उत्पीड़न कपट अनुचित प्रभाव मिथ्या वर्णन तथा भूल से प्रभावित हो तो वह सहमति स्वतंत्र सहमति नहीं मानी जाएगी वहां पर अनुबंध व्यर्थनिय अनुबंध होगा
विधि पूर्ण प्रतिफल एवं उद्देश्य- अनुबंध का प्रतिफल एवं उद्देश्य वेद होना चाहिए बिना प्रतिफल के किया गया अनुबंध व्यर्थ अनुबंध माना जाता है अनुबंध में प्रतिफल होने के साथ-साथ उसका वेद होना भी आवश्यक है यदि किसी अनुबंध को राज नियम द्वारा वर्जित घोषित किया गया है तो वह अनुबंध विधि पूर्ण नहीं माने जाएंगे अतः ऐसे अनुबंध जिनका उद्देश्य आने देखो लोग नीति के विरुद्ध हो तो ऐसे सारे प्रतिपल अवैध माने जाते हैं
ठराव स्पष्ट रूप से व्यर्थ घोषित नहीं किया गया हो - अनुबंध अधिनियम के अंतर्गत कुछ ऐसे ठहराव आते हैं जिन्हें स्पष्ट रूप से व्यर्थ घोषित किया गया है जैसे अव्यस्क अस्वस्थ मस्तिष्क व्यवसाय में रुकावट डालने वाले ठहराव अनिश्चित अर्थ वाले ठहराव बाजी के ठहराव असंभव कार्य को करने का ठहराव आदि ठहराव अनुबंध अधिनियम द्वारा व्यर्थ घोषित किए गए हैं
ठहराव का लिखित प्रमाणित व रजिस्टर्ड होना - यदि किसी अधिनियम के द्वारा कोई ऐसा अनुबंध किया जाता है जिसके लिए ठहराव का लिखित में होना साक्ष्यों द्वारा प्रमाणित होना एवं रजिस्टर्ड होना आवश्यक है उदाहरण के लिए स्थाई संपत्ति खरीदने का अनुबंध बीमे का अनुबंध विनिमय साध्य विलेख का अनुबंध आदि
B.com 1st year ke shary subject ke kosun ke shat anws dalkaro aapke bahut achha lekatey ho
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