स्वतंत्रता पुकारती
Q. स्वतंत्रता पुकारती कविता में स्वतंत्रता किसे पुकार रही है
Ans. स्वतंत्रता पुकारती कविता में प्रसिद्ध राष्ट्रीय कवि एवं छायावाद के आधार स्तंभ कवि जयशंकर प्रसाद की राष्ट्रीय एवं वीर भावना से ओतप्रोत कविता है यह कविता भारतवासियों को देश प्रेम का संदेश व स्वतंत्रता के लिए जागृति देने वाली कविता है कवि ने इस कविता में स्वतंत्रता का महत्व समझाया है और कहा है कि तुम भारत माता के वीर एवं अमर पुत्र हो अतः इस कविता में भारत माता अपने अमर व वीर पुत्रों को अपनी स्वतंत्रता के लिए पुकार रही है
Q स्वतंत्रता पुकारती कविता में स्वतंत्रता कहां से पुकार रही है
Ans. स्वतंत्रता पुकारती कविता में हिमाद्रि तुंग श्रृंग से अर्थात हिमालय की ऊंची ऊंची चोटियों से भारत माता अपने पुत्रों को स्वतंत्रता के लिए पुकार रही है क्योंकि अंग्रेजों ने उन ऊंची ऊंची चोटियों पर भी अपना अधिकार कर रखा है और यह हिमालय पर्वत हमारे देश का रक्षक है उसे भी अंग्रेजों ने अपने अधिपत्य में कर रखा है अतः हिमालय की उन्नत चोटियों से भारत माता अपनी स्वतंत्रता के लिए अपने वीर अमर पुत्रों को पुकार रही है
Q. कवि स्वतंत्रता पुकारती कविता से क्या संदेश दे रहा है
Ans. स्वतंत्रता पुकारती कविता जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध कविताओं में से एक है यह कविता प्रसाद जी के प्रसिद्ध नाटक चंद्रगुप्त से ली गई है कभी कहते हैं कि स्वतंत्रता तुम्हारा जन्म सिद्ध अधिकार है इसके अभाव में तुम अपना संपूर्ण विकास नहीं कर सकते क्योंकि स्वतंत्रता का अपना एक अलग ही प्रकाश होता है उस प्रकाश से पूरा जन समुदाय प्रकाशित होता है अर्थात सभी की उन्नति स्वतंत्र होने के पश्चात ही संभव है अतः तुम भारत माता के वीर पुत्र हो अब यह दृढ़ प्रतिज्ञा करो कि तुम्हें स्वतंत्रता को प्राप्त करना ही है अतः यह कविता स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए देशवासियों के मन में जागृति लाने व स्वतंत्रता प्राप्ति की प्रेरणा देने वाली कविता है
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Q. स्वतंत्रता पुकारती कविता में असंख्य कीर्ति रश्मियों से क्या तात्पर्य है
Ans. स्वतंत्रता पुकारती कविता में असंख्य कीर्ति रश्मियां से कवि का आशय है कि जो शूरवीर देश के लिए अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए शहीद हो जाते हैं उनकी यश रूपी किरणें पूरे वायुमंडल में फैलती है अर्थात इन शहीदों की यशगाथा युगों-युगों तक याद की जाती है इन्हीं सपूतों की असंख्य शुरू की किरणें स्वतंत्रता प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त कर रही है यह किरणें शत्रुओं के ह्रदय को बड़ी तेजी से नष्ट कर देने वाली है यह किसने दिव्या ली है अतः कवि ने मातृभूमि के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने के लिए प्रेरणा दी है और ऐसे ही वीर हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं
भारतीय संविधान का संक्षिप्त इतिहास
Q. स्वतंत्रता पुकारती कविता की प्रेरणा क्या है
अथवा
सुबाड़वाग्नि से क्या आशय है
Ans. प्रस्तुत कविता में सुबाड़वाग्नि शब्द का अर्थ है समुद्र की अग्नि अर्थात ऐसी आग जो समुद्र में लगती है तो पूरे समुद्री जल जीवन को नष्ट कर देती है प्रस्तुत कविता में कवि ने देशवासियों को स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष का संदेश देते हुए कहा है कि हे भारत के वीर पुत्रों तुम यह दृढ़ प्रतिज्ञा कर स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष करो और तब तक संघर्ष करते रहो जब तक तुम्हें स्वतंत्रता प्राप्त ना हो जाए तुम उस मार्ग पर आगे बढ़ते चलो और अपने कदमों को पीछे की ओर मत हटाओ क्योंकि तुम भारत माता के अमर और वीर पुत्र हो शत्रुओं की विशाल सेना अर्थात अंग्रेजों की सेना समुद्र की तरह है जिसकी और आगे बढ़ते हुए उसी प्रकार विजयश्री प्राप्त करनी है जैसे सुबाड़वाग्नि समुद्र में प्रज्वलित होकर पूरे समुद्र की विशाल जलराशि को नष्ट कर देती है इस प्रकार यह कविता देशवासियों को स्वतंत्रता का महत्व बताने के साथ-साथ स्वतंत्रता प्राप्त करने की प्रेरणा देती है
Q. स्वतंत्रता को स्वयं प्रभा और समुज्जवला क्यों कहा गया है
Ans. प्रस्तुत कविता जयशंकर प्रसाद की राष्ट्रीय भावना से युक्त कविता है प्रस्तुत कविता में कवि ने बताया है कि स्वतंत्रता अपने आप में प्रभावन और प्रकाशवान होती है अर्थात स्वतंत्रता का अपना एक सुख और आनंद होता है स्वतंत्रता मनुष्य के विकास का मार्ग प्रशस्त करती है और जीवन जीने के लिए आत्मविश्वास प्रदान करती है स्वतंत्रता के इस प्रकार से पूरा जन समुदाय प्रकाशित होता है अर्थात सभी की प्रगति और उन्नति स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद ही संभव होती है क्योंकि स्वतंत्र मानव बड़े उत्साह से प्रसन्नता से अपना कार्य संपादित करता है इसलिए स्वतंत्रता को स्वयं प्रभा और समुज्जवला कहा गया है और स्वयंप्रभा समुज्जवला स्वतंत्रता पुकारती
वाक्य संरचना और अशुद्धियां-
वाक्य एवं उसके प्रकार-
Q. वाक्य किसे कहते हैं हम उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए
Ans . वाक्य में भाषा की सहज और मूलभूत इकाई है तथा वाक्य भाषा की लघुतम इकाई है वाक्य उस शब्द समूह को कहते हैं जिसमें एक विचार या पूर्ण भाव प्रकट हो सके दूसरे शब्दों में शब्दों के सार्थक समूह को वाक्य कहते हैं
डॉ अंबिका प्रसाद के अनुसार- वाक्य भाषा की लघुतम पूर्ण स्वतंत्र इकाई है जो विचारों की ध्वनि में सार्थक अभिव्यक्ति है अर्थात जिस शब्द समूह से कोई बात पूरी तरह समझी जा सके उसे वाक्य कहते हैं
वाक्य के प्रकार-
1. अर्थ के आधार पर
2. रचना के आधार पर
अर्थ के आधार पर-
अर्थ के आधार पर वाक्य के आठ प्रकार होते हैं
1. विधि वाचक- जिस वाक्य के द्वारा किसी कार्य के होने का बोध हो या कार्य हो रहा हो ऐसे वाक्य को विधिवाचक वाक्य कहते हैं
जैसे मैं भोजन कर रहा हूं
2. निषेधवाचक- जिस वाक्य में किसी कार्य के ना होने का बोध हो उसे नकारात्मक वाक्य कहते हैं हिंदी में ना नहीं मत निषेध इनकार आदि शब्द भी नकारात्मक भाव प्रकट करते हैं जैसे वह आज नहीं आया
3. प्रश्नवाचक- जिस वाक्य में किसी प्रकार का प्रश्न किया जाए या प्रश्न पूछा जाए उसे प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं जैसे आपका नाम क्या है
4. संदेहवाचक- जिस वाक्य में किसी संदेशन का संभावना आदि का बोध हो उसे संदेहवाचक वाक्य कहते हैं जैसे शायद वह आज आ सकता है
5. संकेतवाचक- जिस वाक्य में कोई शर्त रखी जाए वहां पर संकेतवाचक वाक्य होता है जैसे यदि आप पढ़ोगे तो मैं भी आपको पढ़ाऊंगा
6. विस्मयादिबोधक- जिस वाक्य में कोई आश्चर्य हर्ष करुणा दुख आदि का बोध हो उसे विस्मयादिबोधक किया विस्मय वाचक वाक्य कहते हैं जैसे ओह कितना सुंदर दृश्य है
7. आज्ञावाचक- जिस वाक्य में किसी प्रकार की आज्ञा दी जाए या आज्ञा मांगी जाए ऐसे वाक्य को आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं
जैसे गुरुजी ने कहा यहां मत बैठिए
8. इच्छावाचक- जिस वाक्य में किसी प्रकार की इच्छा या शुभकामना प्रकट की जाए ऐसे वाक्य को इच्छावाचक वाक्य कहते हैं
जैसे ईश्वर करे उसकी नौकरी लग जाए
रचना के आधार पर
रचना के आधार पर वाक्य के तीन प्रकार होते हैं सरल वाक्य संयुक्त वाक्य मिश्र वाक्य
1. सरल वाक्य- जिस वाक्य में एक कर्ता और एक क्रिया होती है या एक उद्देश्य एक विषय होता है उसे सरल वाक्य कहते हैं उदाहरण राम मोहन और श्याम बाजार जा रहे हैं
2. संयुक्त वाक्य- जिस वाक्य में दो या दो से अधिक वाक्य उपवाक्य हो या दो वाक्यों को आपस में योजक शब्दों के द्वारा जोड़ा जाए ऐसे वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते हैं हिंदी में और तथा किंतु-परंतु इसलिए एवं अतः आदि शब्द योजक शब्द कहे जाते हैं जैसे राम बाजार गया और शाम भी साथ में गया
3. मिश्रा मिश्रित वाक्य- जिस वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य हो उनमें से एक प्रधान उपवाक्य होता है और सारे उपवाक्य एक दूसरे पर आश्रित होते हैं ऐसे वाक्य को मिश्र या मिश्रित वाक्य कहते हैं जैसे वह कौन भारतीय है जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम से परिचित ना होगा
अशुद्धियां
Q. अशुद्धियां किसे कहते हैं उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए
Ans. हमें सदैव ऐसी भाषा का व्यवहार करना चाहिए जो शुद्ध हो मानक हो परंतु कभी-कभी बोलने एवं लिखने में या शब्दों के सही अर्थ न मालूम होने पर प्राय गलतियां हो जाती है अतः भाषा में होने वाली इन्हीं भूलो एवम गलतियों को अशुद्धियां कहते हैं अशुद्धियों के चार प्रकार होते हैं-
1. उच्चारण गत एवं वर्तनी गत- बच्चा रंगत का संबंध बोलने से है तथा वर्तनी गत का संबंध लिखने से है यदि हम किसी शब्द का गलत उच्चारण करेंगे तो हम लिखेंगे भी गलत प्राय सभी लोग रीता शब्द को रीटा बोलते हैं और लिखते भी गलत हैं अंग्रेजी के प्रभाव से योग को योगा अशोक को अशोका बोलते हैं और लिखते भी अशुद्ध है अतः इस प्रकार की अशुद्धियों को उच्चारण गत एवं वर्तनी गत अशुद्धियां कहते हैं
2. शब्दगत- कभी-कभी शब्दों में हम अतिरिक्त प्रत्यय उपसर्ग लगाने से शब्द अशुद्ध हो जाते हैं इस प्रकार की अशुद्धि को शब्दगत अशुद्धि कहते हैं
अशुद्ध - मधुरता सौंदर्यता पूज्यनीय
शुद्ध- माधुरी सौंदर्य पूजनीय
3. शब्दार्थ गत- शब्दों के सही अर्थ मालूम ना होने की स्थिति में प्राय उनका गलत प्रयोग हो जाता है अतः वाक्य में होने वाली इस प्रकार की गलतियों को शब्दार्थ गत अशुद्धि कहते हैं उदाहरण नौकर आटा पिसाने गया
4. वाक्य गत- कभी-कभी भाषा में वाक्य में व्याकरणिक गलतियां हो जाती है और पूरा वाक्य शुद्ध हो जाता है इस प्रकार की अशुद्धियों को व्यक्तिगत अशुद्धियां कहते हैं यह अशुद्धियां प्राय विभक्ति वचन विशेषण तथा लिंग संबंधित अशुद्धि हो जाती है उदाहरण भिखारियों को अन्य लाओ विभक्ति संबंधी
वह कमी थी लिंग संबंधी
हम खाना खाती है वचन संबंधी
कोयल का कंठ सबसे मधुर तम है विशेषण संबंधी
यह घी की शुद्ध दुकान है
यह शुद्ध घी की दुकान है
हिमाद्रि तुंग श्रृंग से
प्रबुद्ध शुद्ध भारती
स्वयं प्रभा समूज्जवला
अमर्त्य वीर पुत्र हो दृढ़ प्रतिज्ञ सोच लो
प्रशस्त पुण्य पंथ है बढ़े चलो बढ़े चलो
Q. स्वतंत्रता पुकारती कविता में स्वतंत्रता किसे पुकार रही है
Ans. स्वतंत्रता पुकारती कविता में प्रसिद्ध राष्ट्रीय कवि एवं छायावाद के आधार स्तंभ कवि जयशंकर प्रसाद की राष्ट्रीय एवं वीर भावना से ओतप्रोत कविता है यह कविता भारतवासियों को देश प्रेम का संदेश व स्वतंत्रता के लिए जागृति देने वाली कविता है कवि ने इस कविता में स्वतंत्रता का महत्व समझाया है और कहा है कि तुम भारत माता के वीर एवं अमर पुत्र हो अतः इस कविता में भारत माता अपने अमर व वीर पुत्रों को अपनी स्वतंत्रता के लिए पुकार रही है
Q स्वतंत्रता पुकारती कविता में स्वतंत्रता कहां से पुकार रही है
Ans. स्वतंत्रता पुकारती कविता में हिमाद्रि तुंग श्रृंग से अर्थात हिमालय की ऊंची ऊंची चोटियों से भारत माता अपने पुत्रों को स्वतंत्रता के लिए पुकार रही है क्योंकि अंग्रेजों ने उन ऊंची ऊंची चोटियों पर भी अपना अधिकार कर रखा है और यह हिमालय पर्वत हमारे देश का रक्षक है उसे भी अंग्रेजों ने अपने अधिपत्य में कर रखा है अतः हिमालय की उन्नत चोटियों से भारत माता अपनी स्वतंत्रता के लिए अपने वीर अमर पुत्रों को पुकार रही है
Q. कवि स्वतंत्रता पुकारती कविता से क्या संदेश दे रहा है
Ans. स्वतंत्रता पुकारती कविता जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध कविताओं में से एक है यह कविता प्रसाद जी के प्रसिद्ध नाटक चंद्रगुप्त से ली गई है कभी कहते हैं कि स्वतंत्रता तुम्हारा जन्म सिद्ध अधिकार है इसके अभाव में तुम अपना संपूर्ण विकास नहीं कर सकते क्योंकि स्वतंत्रता का अपना एक अलग ही प्रकाश होता है उस प्रकाश से पूरा जन समुदाय प्रकाशित होता है अर्थात सभी की उन्नति स्वतंत्र होने के पश्चात ही संभव है अतः तुम भारत माता के वीर पुत्र हो अब यह दृढ़ प्रतिज्ञा करो कि तुम्हें स्वतंत्रता को प्राप्त करना ही है अतः यह कविता स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए देशवासियों के मन में जागृति लाने व स्वतंत्रता प्राप्ति की प्रेरणा देने वाली कविता है
Work From Home Jobs Apply Now l अगर आप भी करना चाहते हैं घर बैठे काम तो जानिए कैसे करना है अप्लाई l How to apply for work from home jobs
Q. स्वतंत्रता पुकारती कविता में असंख्य कीर्ति रश्मियों से क्या तात्पर्य है
Ans. स्वतंत्रता पुकारती कविता में असंख्य कीर्ति रश्मियां से कवि का आशय है कि जो शूरवीर देश के लिए अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए शहीद हो जाते हैं उनकी यश रूपी किरणें पूरे वायुमंडल में फैलती है अर्थात इन शहीदों की यशगाथा युगों-युगों तक याद की जाती है इन्हीं सपूतों की असंख्य शुरू की किरणें स्वतंत्रता प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त कर रही है यह किरणें शत्रुओं के ह्रदय को बड़ी तेजी से नष्ट कर देने वाली है यह किसने दिव्या ली है अतः कवि ने मातृभूमि के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने के लिए प्रेरणा दी है और ऐसे ही वीर हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं
भारतीय संविधान का संक्षिप्त इतिहास
Q. स्वतंत्रता पुकारती कविता की प्रेरणा क्या है
अथवा
सुबाड़वाग्नि से क्या आशय है
Ans. प्रस्तुत कविता में सुबाड़वाग्नि शब्द का अर्थ है समुद्र की अग्नि अर्थात ऐसी आग जो समुद्र में लगती है तो पूरे समुद्री जल जीवन को नष्ट कर देती है प्रस्तुत कविता में कवि ने देशवासियों को स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष का संदेश देते हुए कहा है कि हे भारत के वीर पुत्रों तुम यह दृढ़ प्रतिज्ञा कर स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष करो और तब तक संघर्ष करते रहो जब तक तुम्हें स्वतंत्रता प्राप्त ना हो जाए तुम उस मार्ग पर आगे बढ़ते चलो और अपने कदमों को पीछे की ओर मत हटाओ क्योंकि तुम भारत माता के अमर और वीर पुत्र हो शत्रुओं की विशाल सेना अर्थात अंग्रेजों की सेना समुद्र की तरह है जिसकी और आगे बढ़ते हुए उसी प्रकार विजयश्री प्राप्त करनी है जैसे सुबाड़वाग्नि समुद्र में प्रज्वलित होकर पूरे समुद्र की विशाल जलराशि को नष्ट कर देती है इस प्रकार यह कविता देशवासियों को स्वतंत्रता का महत्व बताने के साथ-साथ स्वतंत्रता प्राप्त करने की प्रेरणा देती है
Q. स्वतंत्रता को स्वयं प्रभा और समुज्जवला क्यों कहा गया है
Ans. प्रस्तुत कविता जयशंकर प्रसाद की राष्ट्रीय भावना से युक्त कविता है प्रस्तुत कविता में कवि ने बताया है कि स्वतंत्रता अपने आप में प्रभावन और प्रकाशवान होती है अर्थात स्वतंत्रता का अपना एक सुख और आनंद होता है स्वतंत्रता मनुष्य के विकास का मार्ग प्रशस्त करती है और जीवन जीने के लिए आत्मविश्वास प्रदान करती है स्वतंत्रता के इस प्रकार से पूरा जन समुदाय प्रकाशित होता है अर्थात सभी की प्रगति और उन्नति स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद ही संभव होती है क्योंकि स्वतंत्र मानव बड़े उत्साह से प्रसन्नता से अपना कार्य संपादित करता है इसलिए स्वतंत्रता को स्वयं प्रभा और समुज्जवला कहा गया है और स्वयंप्रभा समुज्जवला स्वतंत्रता पुकारती
वाक्य संरचना और अशुद्धियां-
वाक्य एवं उसके प्रकार-
Q. वाक्य किसे कहते हैं हम उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए
Ans . वाक्य में भाषा की सहज और मूलभूत इकाई है तथा वाक्य भाषा की लघुतम इकाई है वाक्य उस शब्द समूह को कहते हैं जिसमें एक विचार या पूर्ण भाव प्रकट हो सके दूसरे शब्दों में शब्दों के सार्थक समूह को वाक्य कहते हैं
डॉ अंबिका प्रसाद के अनुसार- वाक्य भाषा की लघुतम पूर्ण स्वतंत्र इकाई है जो विचारों की ध्वनि में सार्थक अभिव्यक्ति है अर्थात जिस शब्द समूह से कोई बात पूरी तरह समझी जा सके उसे वाक्य कहते हैं
वाक्य के प्रकार-
1. अर्थ के आधार पर
2. रचना के आधार पर
अर्थ के आधार पर-
अर्थ के आधार पर वाक्य के आठ प्रकार होते हैं
1. विधि वाचक- जिस वाक्य के द्वारा किसी कार्य के होने का बोध हो या कार्य हो रहा हो ऐसे वाक्य को विधिवाचक वाक्य कहते हैं
जैसे मैं भोजन कर रहा हूं
2. निषेधवाचक- जिस वाक्य में किसी कार्य के ना होने का बोध हो उसे नकारात्मक वाक्य कहते हैं हिंदी में ना नहीं मत निषेध इनकार आदि शब्द भी नकारात्मक भाव प्रकट करते हैं जैसे वह आज नहीं आया
3. प्रश्नवाचक- जिस वाक्य में किसी प्रकार का प्रश्न किया जाए या प्रश्न पूछा जाए उसे प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं जैसे आपका नाम क्या है
4. संदेहवाचक- जिस वाक्य में किसी संदेशन का संभावना आदि का बोध हो उसे संदेहवाचक वाक्य कहते हैं जैसे शायद वह आज आ सकता है
5. संकेतवाचक- जिस वाक्य में कोई शर्त रखी जाए वहां पर संकेतवाचक वाक्य होता है जैसे यदि आप पढ़ोगे तो मैं भी आपको पढ़ाऊंगा
6. विस्मयादिबोधक- जिस वाक्य में कोई आश्चर्य हर्ष करुणा दुख आदि का बोध हो उसे विस्मयादिबोधक किया विस्मय वाचक वाक्य कहते हैं जैसे ओह कितना सुंदर दृश्य है
7. आज्ञावाचक- जिस वाक्य में किसी प्रकार की आज्ञा दी जाए या आज्ञा मांगी जाए ऐसे वाक्य को आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं
जैसे गुरुजी ने कहा यहां मत बैठिए
8. इच्छावाचक- जिस वाक्य में किसी प्रकार की इच्छा या शुभकामना प्रकट की जाए ऐसे वाक्य को इच्छावाचक वाक्य कहते हैं
जैसे ईश्वर करे उसकी नौकरी लग जाए
रचना के आधार पर
रचना के आधार पर वाक्य के तीन प्रकार होते हैं सरल वाक्य संयुक्त वाक्य मिश्र वाक्य
1. सरल वाक्य- जिस वाक्य में एक कर्ता और एक क्रिया होती है या एक उद्देश्य एक विषय होता है उसे सरल वाक्य कहते हैं उदाहरण राम मोहन और श्याम बाजार जा रहे हैं
2. संयुक्त वाक्य- जिस वाक्य में दो या दो से अधिक वाक्य उपवाक्य हो या दो वाक्यों को आपस में योजक शब्दों के द्वारा जोड़ा जाए ऐसे वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते हैं हिंदी में और तथा किंतु-परंतु इसलिए एवं अतः आदि शब्द योजक शब्द कहे जाते हैं जैसे राम बाजार गया और शाम भी साथ में गया
3. मिश्रा मिश्रित वाक्य- जिस वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य हो उनमें से एक प्रधान उपवाक्य होता है और सारे उपवाक्य एक दूसरे पर आश्रित होते हैं ऐसे वाक्य को मिश्र या मिश्रित वाक्य कहते हैं जैसे वह कौन भारतीय है जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम से परिचित ना होगा
अशुद्धियां
Q. अशुद्धियां किसे कहते हैं उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए
Ans. हमें सदैव ऐसी भाषा का व्यवहार करना चाहिए जो शुद्ध हो मानक हो परंतु कभी-कभी बोलने एवं लिखने में या शब्दों के सही अर्थ न मालूम होने पर प्राय गलतियां हो जाती है अतः भाषा में होने वाली इन्हीं भूलो एवम गलतियों को अशुद्धियां कहते हैं अशुद्धियों के चार प्रकार होते हैं-
1. उच्चारण गत एवं वर्तनी गत- बच्चा रंगत का संबंध बोलने से है तथा वर्तनी गत का संबंध लिखने से है यदि हम किसी शब्द का गलत उच्चारण करेंगे तो हम लिखेंगे भी गलत प्राय सभी लोग रीता शब्द को रीटा बोलते हैं और लिखते भी गलत हैं अंग्रेजी के प्रभाव से योग को योगा अशोक को अशोका बोलते हैं और लिखते भी अशुद्ध है अतः इस प्रकार की अशुद्धियों को उच्चारण गत एवं वर्तनी गत अशुद्धियां कहते हैं
2. शब्दगत- कभी-कभी शब्दों में हम अतिरिक्त प्रत्यय उपसर्ग लगाने से शब्द अशुद्ध हो जाते हैं इस प्रकार की अशुद्धि को शब्दगत अशुद्धि कहते हैं
अशुद्ध - मधुरता सौंदर्यता पूज्यनीय
शुद्ध- माधुरी सौंदर्य पूजनीय
3. शब्दार्थ गत- शब्दों के सही अर्थ मालूम ना होने की स्थिति में प्राय उनका गलत प्रयोग हो जाता है अतः वाक्य में होने वाली इस प्रकार की गलतियों को शब्दार्थ गत अशुद्धि कहते हैं उदाहरण नौकर आटा पिसाने गया
4. वाक्य गत- कभी-कभी भाषा में वाक्य में व्याकरणिक गलतियां हो जाती है और पूरा वाक्य शुद्ध हो जाता है इस प्रकार की अशुद्धियों को व्यक्तिगत अशुद्धियां कहते हैं यह अशुद्धियां प्राय विभक्ति वचन विशेषण तथा लिंग संबंधित अशुद्धि हो जाती है उदाहरण भिखारियों को अन्य लाओ विभक्ति संबंधी
वह कमी थी लिंग संबंधी
हम खाना खाती है वचन संबंधी
कोयल का कंठ सबसे मधुर तम है विशेषण संबंधी
यह घी की शुद्ध दुकान है
यह शुद्ध घी की दुकान है
पुष्प की अभिलाषा
माखनलाल चतुर्वेदी
जन्म स्थान होशंगाबाद बाबई मध्य प्रदेश
चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनो में गूंथा जाऊं चाह नहीं प्रेमी माला में बिंध प्यारी को ललचाऊं
चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊं चाह नहीं देवों के सिर पर चढ़ूं भाग्य पर इठलाऊं
मुझे तोड़ लेना वनमाली उस पथ पर तुम देना फेंक मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक
Q. पुष्प की अभिलाषा कविता का भावार्थ लिखिए
अथवा
पुष्प की अभिलाषा के माध्यम से कवि क्या कहना चाहते हैं
Ans. पुष्प की अभिलाषा कविता सुप्रसिद्ध राष्ट्रीय कवि माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित कविता है प्रस्तुत कविता में कवि ने छोटे से पुष्प के मन की इच्छा को अभिव्यक्त किया है उस पुष्प के माध्यम से राष्ट्रप्रेम की भावना का प्रसाद किया है पुष्प कहता है कि मेरी यह इच्छा नहीं की मुझे कोई सुंदर नायिका अपने गहनों के रूप में पिरोए मैं यह नहीं चाहता कि मुझे प्रेमियों की मालाओं में कोई स्थान मिले और मैं प्रेमिका को अपनी ओर आकर्षित करूं मेरी यह भी इच्छा नहीं है कि मुझे राजा महाराजाओं के शव पर चढ़ाया जाए और ना ही मैं ईश्वर के मस्तक पर सुशोभित हो कर स्वयम को सौभाग्यशाली बनाना चाहता हूं और नहीं अपने आप को अभिमान से भरना चाहता हूं मेरी प्रबल इच्छा बस इतनी सी है कि है उनके मालिक तुम मुझे तोड़कर उस रास्ते पर फेंक देना जहां से अनेक वीर सिपाही मातृभूमि की रक्षा हेतु निरंतर आगे बढ़ रहे हो उस मार्ग पर जब उन वीर सिपाहियों के चरण मुझ पर पड़ेंगे तो मेरा जीवन सफल हो जाएगा सार्थक हो जाएगा एक छोटे से पुष्प का देश के प्रति घात और अमित प्रेम सामने आता है अतः कवि पुष्प के माध्यम से लोगों के मन में राष्ट्रप्रेम की भावना को जागृत करना चाहते हैं
Q. माखनलाल चतुर्वेदी जी की प्रमुख रचनाओं के नाम बताइए
Ans. हिमाकीरीटनी ,हिमतरंगिनी ,माता, युग चरण, समर्पण, मरण ज्वार
Q. पुष्प की अभिलाषा कविता कहां से ली गई है
Ans. हिमकिरीटनी काव्य संग्रह से
Q. प्रस्तुत कविता की रचना कवि ने कहां पर की थी
Ans. बिलासपुर जेल में 1921 में
Q. माखनलाल चतुर्वेदी जी का जन्म कहां हुआ
Ans. 4 अप्रैल 1890 को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई नामक गांव में हुआ
Q. माखनलाल चतुर्वेदी जी को एक भारतीय आत्मा क्यों कहा गया
Ans. माखनलाल चतुर्वेदी जी एक राष्ट्रीय भाव धारा के कवि थे उनका हृदय और मन हमेशा देश के लिए ही धड़कता रहता है राष्ट्र के प्रति अगाध और अमित प्रेम होने के कारण वे कई बार स्वतंत्रता प्राप्ति आंदोलन के दौरान जेल गए जेल में भी कभी ह्रदय देश के लिए चिंतित रहता था उसका परिणाम यह हुआ कि जेल में रहकर उन्होंने पुष्प की अभिलाषा कविता की रचना की वह हिंदी के प्रतिष्ठित कवि कुशल वक्ता पत्रकार संपादक तथा लेखक थे किंतु उससे भी पहले भी एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे असहयोग आंदोलन के समय उन्हें लगभग 10 माह के कठोर कारावास की सजा हुई बिलासपुर की जेल में ही उन्होंने 1921 में पुष्प की अभिलाषा कविता लिखी इस कविता ने वीर युवाओं को देश की स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया उनके राष्ट्रीय प्रेम को समर्पण को देखकर जनवरी 1965 में मध्यप्रदेश शासन ने खंडवा में आप का नागरिक अभिनंदन कर एक भारतीय आत्मा की उपाधि से सम्मानित किया
नमक का दरोगा
मुंशी प्रेमचंद
Q. नमक का दरोगा कहानी का सारांश लिखिए
Ans. प्रस्तुत कहानी नमक का दरोगा हिंदी साहित्य जगत में कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित कहानी है यह कहानी एक ऐसी कहानी है जो नैतिक मूल्यों के अस्तित्व को स्पष्ट करती है वर्तमान में भ्रष्ट हो चुके राजनेताओं के लिए जहां यह कहानी नए मूल्यों की स्थापना करती है वहीं दूसरी और ईमानदारी और सच्चाई की जीत भी इस कहानी का पक्ष है कहानी का आरंभ एक ऐसे नमक विभाग की चर्चा से होता है जहां हर व्यक्ति पद को पाने की लालसा में हर वक्त तत्पर रहता है क्योंकि जब नमक का नया विभाग बना तब ही यह तय कर लिया कि ईश्वर द्वारा प्रदत्त वस्तुओं का व्यापार नहीं किया जाएगा लेकिन फिर भी समाज के तथाकथित अनैतिकता द्वारा नमक की चोरी की जाने लगी नमक का दरोगा का उत्सुक पद एक ऐसा पद है जिसे पाने के लिए सभी लोग ललित उत्सुक थे वंशीधर भी नमक के दरोगा के पद पर अपनी योग्यता के कारण नियुक्त हुए उनके पिता बहुत अनुभवी थे उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर अपने पुत्र को घर की आर्थिक स्थिति का एहसास कराते हुए यह समझाने का प्रयास किया कि ऊपर या ऐसे ही आर्थिक अभाव को दूर किया जा सकता है वंशीधर ने एक आज्ञाकारी पुत्र की भांति अपने पिता का आशीर्वाद लिया लेकिन उनका ह्रदय और व्यक्तित्व पिता के कहे वचनों से सहमत नहीं था अपने कुशल व्यवहार से कुछ ही समय में वंशीधर अफसरों के चहेते बन गए सब लोग उन्हें अपना विश्वास पात्र समझते थे जिस विभाग में मानचित्र दरोगा थे उसी क्षेत्र के प्रसिद्ध धनवान व्यापारी पंडित अलोपीदीन थे धन के बल पर किसी भी व्यक्ति को अपने वश में कर लेना उनके बाएं हाथ का खेल था अलोपीदीन ने अपनी ताकत का परिचय देते हुए नमक से भरी गाड़ियां गैरकानूनी तरह से यमुना नदी के पार पहुंचाने का कार्य करने लगे जिसे गैरकानूनी समझकर बंशीधर ने रोकने का साहस किया पंडित अलोपीदीन ने ₹40000 की रिश्वत देकर वंशीधर को खरीदने का प्रयास किया लेकिन बंशीधर ने रिश्वत नहीं ली उसने अपना ईमानदारी को नहीं छोड़ा फलस्वरुप अलोपीदीन ने वंशीधर को न्यायालय में प्रस्तुत किया और उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा घटना के 1 सप्ताह पश्चात वंशीधर आंगन में बैठे थे तब एक सजा हुआ रथ उनके द्वार पर आकर रुकता है उस रात से पंडित अलोपीदीन अपने किए हुए गुनाह की माफी मांगी और नतमस्तक होकर दुख प्रकट करने लगे उन्होंने एक पत्र निकाला जिसमें यह लिखा था कि उन्होंने अपनी संपूर्ण जमीन जायदाद का प्रबंधक मैनेजर वंशीधर को नियुक्त किया ₹6000 मासिक वेतन के साथ में आने जाने के लिए घोड़ा रथ और मकान निशुल्क रूप से दिया गया वंशीधर की आंखों से आंसू बहने लगे दोनों गले लगे इस प्रकार कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं
एक थे राजा भोज
डॉ त्रिभुवन नाथ शुक्ल
Q. राजा भोज द्वारा लिखित ग्रंथों के नाम लिखिए
Ans. राजा भोज द्वारा लिखित ग्रंथ निम्नलिखित है
1. नीति शास्त्र- चाणक्य राजनीति
2. ज्योतिष संबंधी- राज मार्तंड ,आदित्य प्रताप सिद्धांत
3. धार्मिक ग्रंथ- तत्व प्रकाश और सिद्धांत संग्रह
4. व्याकरण संबंधी- शब्दानुशासन श्री भोज कृत प्राकृत व्याकरण
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ReplyDeletereallly loved it .Thanks a lot
ReplyDeleteThank you so much
ReplyDeleteIt helped alot.
ReplyDeleteI think it can be much better.Jpe some positive changes
Thank you so much
ReplyDeleteThanks 😆😆
ReplyDeleteThanks
ReplyDeleteThanks
ReplyDeleteTnx.
ReplyDeleteAppreciable!❤️
ReplyDeleteThanks so much 👍
ReplyDeleteThank you
ReplyDeleteThank you So Much
ReplyDeletePlz aap mèri help kardo Google AdSense approval Lene me,har baar coding ki wajah se reject ho Jata hu mèri website Ka naam hai currentlyapex.blogspot
ReplyDeleteCom
kya problem aa rhi he aapke account me
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