स्वतंत्रता पुकारती हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती स्वयं प्रभा समूज्जवला अमर्त्य वीर पुत्र हो दृढ़ प्रतिज्ञ सोच लो प्रशस्त पुण्य पंथ है बढ़े चलो बढ़े चलो Q. स्वतंत्रता पुकारती कविता में स्वतंत्रता किसे पुकार रही है Ans. स्वतंत्रता पुकारती कविता में प्रसिद्ध राष्ट्रीय कवि एवं छायावाद के आधार स्तंभ कवि जयशंकर प्रसाद की राष्ट्रीय एवं वीर भावना से ओतप्रोत कविता है यह कविता भारतवासियों को देश प्रेम का संदेश व स्वतंत्रता के लिए जागृति देने वाली कविता है कवि ने इस कविता में स्वतंत्रता का महत्व समझाया है और कहा है कि तुम भारत माता के वीर एवं अमर पुत्र हो अतः इस कविता में भारत माता अपने अमर व वीर पुत्रों को अपनी स्वतंत्रता के लिए पुकार रही है Q स्वतंत्रता पुकारती कविता में स्वतंत्रता कहां से पुकार रही है Ans. स्वतंत्रता पुकारती कविता में हिमाद्रि तुंग श्रृंग से अर्थात हिमालय की ऊंची ऊंची चोटियों से भारत माता अपने पुत्रों को स्वतंत्रता के लिए पुकार रही है क्योंकि अंग्रेजों ने उन ऊंची ऊंची चोटियों पर भी अपना अधिकार कर रखा है और यह हिमालय पर्वत हमारे देश का रक्षक