Skip to main content

Posts

Showing posts from December, 2019

Constitution of India | भारत शासन अधिनियम : 1935 | Bharat shasan adhiniyam kya hai ? | Chapter - 5

भारतीय संविधान लूसेंट बुक  Chapter - 5  1935 ईसवी का भारत शासन अधिनियम : 1935 ईस्वी के अधिनियम में 321 अनुच्छेद और 10 अनुसूचियां थी |  इस अधिनियम की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार है - 1. अखिल भारतीय संघ : यह संघ 11 ब्रिटिश प्रांतों, 6 चीफ कमिश्नर के क्षेत्रों और उन देशी रियासतों से मिलकर बनना था, जो स्वेच्छा से संघ में सम्मिलित हो | प्रांतों के लिए संघ में सम्मिलित होना अनिवार्य था, किंतु देशी रियासतों के लिए यह ऐच्छिक था | देशी रियासते संघ मैं सम्मिलित नहीं हुई और प्रस्तावित संघ की स्थापना संबंधी घोषणा पत्र जारी करने का अवसर ही नहीं आया |  2. प्रांतीय स्वायत्तता : इस अधिनियम के द्वारा प्रांतों में द्वैध शासन व्यवस्था का अंत कर उन्हें एक स्वतंत्र और स्वशासित संवैधानिक आधार प्रदान किया गया |  3. केंद्र में द्वैध शासन की स्थापना : इस अधिनियम में विधाई शक्तियों को केंद्र और प्रांतीय विधान मंडलों के बीच विभाजित किया गया | इसके तहत परिसंघ सूची, प्रांतीय सूची एवं समवर्ती सूची का निर्माण किया गया |  (a) परिसंघ सूची के विषयों पर परिसंघ विधानमंडल को विधान बनाने की अनन्य

भारतीय संविधान की पूरी किताब | Indian Constitution full Book in Hindi and English | Constitution of india

भारतीय संविधान लूसेंट बुक  Chapter - 1   भारतीय संविधान के विकास का संक्षिप्त इतिहास :- 1757 ईस्वी की पलासी की लड़ाई और 1764 ई. के बक्सर के युद्ध को अंग्रेजों द्वारा जीत लिए जाने के बाद बंगाल पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने शासन का शिकंजा कसा | इसी शासन को अपने अनुकूल बनाए रखने के लिए अंग्रेजों ने समय-समय पर कई एक्ट पारित किए जो भारतीय संविधान के विकास की सीढ़ियां बनी | वह निम्न  है - 1773 ईसवी का रेगुलेटिंग एक्ट:  इस अधिनियम का अत्यधिक संवैधानिक महत्व है; जैसे -  A. भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के कार्यों को नियमित और नियंत्रित करने की दशा में ब्रिटिश सरकार द्वारा उठाया गया यह पहला कदम था | अर्थात कंपनी के शासन पर संसदीय नियंत्रण स्थापित किया गया |  B. इसके द्वारा पहली बार कंपनी के प्रशासनिक और राजनीतिक कार्यों को मान्यता मिली |  C. इसके द्वारा केंद्रीय प्रशासन की नींव रखी गई |    विशेषताएं :  1. इस अधिनियम द्वारा बंगाल के गवर्नर को बंगाल का गवर्नर जनरल पद नाम दिया गया तथा मुंबई एवं मद्रास के गवर्नर को इसके अधीन किया गया | इस एक्ट के तहत बनने वाले प्रथम गवर्न

भारत शासन अधिनियम | भारतीय संविधान | लूसेंट बुक | bharat shasan act indian constitution | chapter - 4

भारतीय संविधान लूसेंट बुक  Chapter -4  1919 ईसवी का भारत शासन अधिनियम :   ( मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार ) :  इस अधिनियम की मुख्य विशेषताएं हैं - 1. केंद्र में द्विसदनात्मक विधायिका की स्थापना की गई - प्रथम राज्य परिषद तथा दूसरी केंद्रीय विधानसभा | राज्य परिषद के सदस्यों की संख्या 60 थी ; जिसमें 34 निर्वाचित होते थे और उनका कार्यकाल 5 वर्षों का होता था | केंद्रीय विधान सभा के सदस्यों की संख्या 144 थी, जिनमें 104 निर्वाचित तथा 40 मनोनीत होते थे | इनका कार्यकाल 3 वर्षों का था | दोनों सदनों के अधिकार समान थे | इनमें सिर्फ एक अंतर था कि बजट पर स्वीकृति प्रदान करने का अधिकार निचले सदन को था | 2. प्रांतों में द्वैध शासन प्रणाली का प्रवर्तन किया गया (प्रांतों में द्वैध शासन के जनक "लियोनस  कार्टियस" थे) 3. इस योजना के अनुसार प्रांतीय विषयों को दो वर्गों में विभाजित किया गया - आरक्षित तथा हस्तांतरित या अंतरित |   आरक्षित विषय : वित्त, भूमि कर, अकाल सहायता, न्याय, पुलिस, पेंशन, आपराधिक जातियां, छापाखाना, समाचार पत्र, सिंचाई, जलमार्ग, खान, कारखाना, बिजली, गैस,

भारत शासन अधिनियम और मार्ले - मिंटो सुधार | भारतीय संविधान | marle minto act of indian constitution | chapter -3

भारतीय संविधान लूसेंट बुक  Chapter - 3 1858 ईस्वी का भारत शासन अधिनियम  : इस अधिनियम की विशेषताएं हैं - 1. भारत का शासन कंपनी से लेकर ब्रिटिश क्रॉउन के हाथों में सौंपा गया |  2. भारत में मंत्री पद की व्यवस्था की गई |  3. 15 सदस्यों की भारत परिषद का सृजन हुआ (8 सदस्य ब्रिटिश सरकार द्वारा एवं 7 सदस्य कंपनी के निदेशक मंडल द्वारा) 4. भारतीय मामलों पर ब्रिटिश संसद का सीधा नियंत्रण स्थापित किया गया |  5. मुगल सम्राट के पद को समाप्त कर दिया गया |  6. इस अधिनियम के द्वारा बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स तथा बोर्ड ऑफ कंट्रोलर को समाप्त कर दिया गया |  7. भारत में शासन संचालन के लिए ब्रिटिश मंत्रिमंडल में एक सदस्य के रूप में भारत के राज्य सचिव  (सेक्रेटरी ऑफ स्टेट फॉर इंडिया ) की नियुक्ति की गई | वह अपने कार्यों के लिए ब्रिटिश संसद के प्रति उत्तरदाई होता था | भारत के प्रशासन पर इसका संपूर्ण नियंत्रण था | उसी का वाक्य अंतिम होता था चाहे वह नीति के विषय में हो या अन्य ब्यौरे के विषय में |  8. भारत के गवर्नर जनरल का नाम बदलकर वायसराय कर दिया गया | अतः

चार्टर अधिनियम | भारतीय संविधान | लूसेंट बुक | Constitution of india | chapter -2

भारतीय संविधान लूसेंट बुक  चार्टर अधिनियम Chapter -2 1793 ईसवी का चार्टर अधिनियम: इसके द्वारा नियंत्रण बोर्ड के सदस्यों तथा कर्मचारियों के वेतन आदि को भारतीय राजस्व में से देने की व्यवस्था की गई |  1813 ईसवी का चार्टर अधिनियम: इस अधिनियम की मुख्य विशेषता है - 1. कंपनी के अधिकार पत्र को 20 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया |  2. कंपनी के भारत के साथ व्यापार करने के एकाधिकार को छीन लिया गया | किंतु उसे चीन के साथ व्यापार एवं पूर्वी देशों के साथ चाय के व्यापार के संबंध में 20 वर्षों के लिए एकाधिकार प्राप्त रहा |  3. कुछ सीमाओं के अधीन सभी ब्रिटिश नागरिकों के लिए भारत के साथ व्यापार खोल दिया गया |  4. 1813 से पहले ईसाई पादरियों को भारत में आने की आज्ञा नहीं थी, परंतु 1813 ईसवी के अधिनियम द्वारा इसाई पादरियों को आज्ञा प्राप्त करके भारत आने की सुविधा मिल गई |  1833 ईसवी का चार्टर अधिनियम: अधिनियम की मुख्य विशेषताएं हैं - 1. इसके द्वारा कंपनी के व्यापारिक अधिकार पूर्णत: समाप्त कर दिए गए |  2. अब कंपनी का कार्य ब्रिटिश सरकार की ओर से मात्र भारत का शासन करना रह गया |

भारतीय संविधान के विकास का संक्षिप्त इतिहास | भारतीय संविधान | लूसेंट बुक | Indian Constitution | Chapter - 1

भारतीय संविधान लूसेंट बुक  Chapter - 1   भारतीय संविधान के विकास का संक्षिप्त इतिहास :- 1757 ईस्वी की पलासी की लड़ाई और 1764 ई. के बक्सर के युद्ध को अंग्रेजों द्वारा जीत लिए जाने के बाद बंगाल पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने शासन का शिकंजा कसा | इसी शासन को अपने अनुकूल बनाए रखने के लिए अंग्रेजों ने समय-समय पर कई एक्ट पारित किए जो भारतीय संविधान के विकास की सीढ़ियां बनी | वह निम्न  है - 1773 ईसवी का रेगुलेटिंग एक्ट: इस अधिनियम का अत्यधिक संवैधानिक महत्व है; जैसे -  A. भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के कार्यों को नियमित और नियंत्रित करने की दशा में ब्रिटिश सरकार द्वारा उठाया गया यह पहला कदम था | अर्थात कंपनी के शासन पर संसदीय नियंत्रण स्थापित किया गया |  B. इसके द्वारा पहली बार कंपनी के प्रशासनिक और राजनीतिक कार्यों को मान्यता मिली |  C. इसके द्वारा केंद्रीय प्रशासन की नींव रखी गई |    विशेषताएं :  1. इस अधिनियम द्वारा बंगाल के गवर्नर को बंगाल का गवर्नर जनरल पद नाम दिया गया तथा मुंबई एवं मद्रास के गवर्नर को इसके अधीन किया गया | इस एक्ट के तहत बनने वाले प्रथम गवर्न