भारत शासन अधिनियम और मार्ले - मिंटो सुधार | भारतीय संविधान | marle minto act of indian constitution | chapter -3
भारतीय संविधान
लूसेंट बुक
Chapter - 3
1858 ईस्वी का भारत शासन अधिनियम : इस अधिनियम की विशेषताएं हैं -
1. भारत का शासन कंपनी से लेकर ब्रिटिश क्रॉउन के हाथों में सौंपा गया |
2. भारत में मंत्री पद की व्यवस्था की गई |
3. 15 सदस्यों की भारत परिषद का सृजन हुआ (8 सदस्य ब्रिटिश सरकार द्वारा एवं 7 सदस्य कंपनी के निदेशक मंडल द्वारा)
4. भारतीय मामलों पर ब्रिटिश संसद का सीधा नियंत्रण स्थापित किया गया |
5. मुगल सम्राट के पद को समाप्त कर दिया गया |
6. इस अधिनियम के द्वारा बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स तथा बोर्ड ऑफ कंट्रोलर को समाप्त कर दिया गया |
7. भारत में शासन संचालन के लिए ब्रिटिश मंत्रिमंडल में एक सदस्य के रूप में भारत के राज्य सचिव (सेक्रेटरी ऑफ स्टेट फॉर इंडिया ) की नियुक्ति की गई | वह अपने कार्यों के लिए ब्रिटिश संसद के प्रति उत्तरदाई होता था | भारत के प्रशासन पर इसका संपूर्ण नियंत्रण था | उसी का वाक्य अंतिम होता था चाहे वह नीति के विषय में हो या अन्य ब्यौरे के विषय में |
8. भारत के गवर्नर जनरल का नाम बदलकर वायसराय कर दिया गया | अतः इस समय के गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग अंतिम गवर्नर जनरल एवं प्रथम वायसराय हुए |
1861 ईसवी का भारत परिषद अधिनियम : इस अधिनियम की विशेषताएं हैं -
1. गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी परिषद का विस्तार किया गया |
2. विभागीय प्रणाली का प्रारंभ हुआ ( लॉर्ड कैनिंग द्वारा ),
3. गवर्नर जनरल को पहली बार अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान की गई | ऐसे अध्यादेश की अवधि मात्र 6 महीने होती थी |
4. गवर्नर जनरल को बंगाल, उत्तर पश्चिमी सीमा प्रांत और पंजाब में विधान परिषद स्थापित करने की शक्ति प्रदान की गई |
5. इसके द्वारा कानून बनाने की प्रक्रिया में भारतीय प्रतिनिधियों को शामिल करने की शुरुआत हुई | वायसराय कुछ भारतीय को विस्तारित परिषद में गैर सरकारी सदस्यों के रूप में नामांकित कर सकता था |
नोट : 1862 ईस्वी में लॉर्ड कैनिंग ने तीन भारतीयों - बनारस के राजा, पटियाला के महाराजा और सर दिनकर राव को विधान परिषद में मनोनीत किया |
1873 ईसवी का अधिनियम : इस अधिनियम द्वारा यह उपबंध किया गया कि ईस्ट इंडिया कंपनी को किसी भी समय भंग किया जा सकता है | 1 जनवरी 1884 ईस्वी को ईस्ट इंडिया कंपनी को औपचारिक रूप से भंग कर दिया गया |
शाही उपाधि अधिनियम, 1876 ईस्वी : इस अधिनियम द्वारा गवर्नर जनरल की केंद्रीय कार्यकारिणी में छठे सदस्य की नियुक्ति कर उसे लोक निर्माण विभाग का कार्य सौंपा गया | 28 अप्रैल 1876 ईस्वी को एक घोषणा द्वारा महारानी विक्टोरिया को भारत की सम्राज्ञी घोषित किया गया |
1892 ईसवी का भारत परिषद अधिनियम : इस अधिनियम की मुख्य विशेषताएं हैं -
1. अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली की शुरुआत हुई,
2. इसके द्वारा राजस्व एवं व्यय अथवा बजट पर बहस करने तथा कार्यकारिणी से प्रश्न पूछने की शक्ति दी गई |
1909 ईसवी का भारत परिषद अधिनियम : ( मार्ले - मिंटो सुधार )
1. पहली बार मुस्लिम समुदाय के लिए पृथक प्रतिनिधित्व का उपबंध किया गया | इसके अंतर्गत मुस्लिम सदस्यों का चुनाव मुस्लिम मतदाता ही कर सकते थे | इस प्रकार इस अधिनियम ने सांप्रदायिकता को वैधानिकता प्रदान की और लॉर्ड मिंटो को सांप्रदायिक निर्वाचन के जनक के रूप में जाना गया |
2. भारतीयों को भारत सचिव एवं गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी परिषदों में नियुक्ति की गई |
3. केंद्रीय और प्रांतीय विधान - परिषदों को पहली बार बजट पर वाद-विवाद करने, सार्वजनिक हित के विषयों पर प्रस्ताव पेश करने, पूरक प्रश्न पूछने और मत देने का अधिकार मिला |
4. प्रांतीय विधान परिषदों की संख्या में वृद्धि की गई |
5. सत्येंद्र प्रसाद सिन्हा वायसराय की कार्यपालिका परिषद के प्रथम भारतीय सदस्य बने | उन्हें विधि सदस्य बनाया गया |
6. इस अधिनियम के तहत प्रेसीडेंसी कॉरपोरेशन, चैंबर्स ऑफ कॉमर्स, विश्वविद्यालयों और जमींदारों के लिए अलग प्रतिनिधित्व का प्रावधान किया गया |
नोट: 1909 ईसवी में लॉर्ड मार्ले इंग्लैंड में भारत के राज्य सचिव थे और लॉर्ड मिंटो भारत के वायसराय |
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